नोबेल पुरस्कार विजेता (भारतीय या भारतीय मूल के व्‍यक्ति) (Nobel Prize Winner from India)

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January 15th, 2023

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Nobel Prize Winner from India

नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) की याद में वर्ष 1901 में शुरू किया गया। यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है। द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस (The Royal Swedish Scademy of Sciences) भौतिकी, अर्थशास्त्र और रसायनशास्त्र में, कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट औषधी के क्षेत्र में, नॉर्वेजियन नोबेल समिति शांति के क्षेत्र में पुरस्कार प्रदान करती है।

प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक मेडल, एक डिप्लोमा और 14 लाख डाॅॅलर मोनेटरी अवार्ड दिया जाता है। पुरस्कार के लिए बनी समिति और चयनकर्ता हर साल अक्टूबर में नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा करते हैं लेकिन पुरस्कारों का वितरण अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसंबर को किया जाता है। आज हम आपको ऐसे ही भारतीयों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने उत्कृष्ट कार्यों से यह पुरस्कार जीता और पूरे देश को गौरवांवित किया।

रवींद्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Thakur): First Nobel Prize Winner from India

रवींद्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Thakur) साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय (First Nobel Prize Winner from India) थे। ‘बर्ड ऑफ बंगाल’ (Bird of Bengal) और ‘गुरुदेव’ (Gurudev) के नाम से प्रसिद्ध रवींद्रनाथ ठाकुर को उनकी काव्‍य संग्रह पुस्तक गीतांजलि के लिए 1913 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। 1910 में अंग्रेज कवि W.B. Yeats ने इस पुस्‍तक का अंग्रेजी अनुवाद किया और प्रस्‍तावना लिखी। भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ की रचना गुरुदेव रवींद्रनाथ ने ही की थी।

चंद्रशेखर वेंकटरमन (C.V.Raman): First Nobel Prize Winner for Physics from India

डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन (C.V.Raman) भौतिक शास्त्र (Physics) के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे। प्रकाश के प्रकीर्णन और उसके प्रभाव की खोज के लिए 1930 में यह पुरस्कार दिया गया। इनकी इस खोज को ‘रमन प्रभाव’ (Raman Effect) के नाम से जाना जाता है। इन्‍हें 1945 में भारत सरकार का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ (Bharat Ratna) भी दिया गया।

हरगोबिंद खुराना (Hargobind Khorana)

हरगोबिंद खुराना (Hargobind Khorana) को चिकित्सा (Medical) के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया गया। भारतीय मूल के डॉ. खुराना को 1968 में ‘कृत्रिम जीन के संश्‍लेषण’ के लिए यह पुरस्‍कार मिला।

मदर टेरेसा (Mother Teresa)

मदर टेरेसा (Mother Teresa) को 1979 में ‘समाज सेवा संबंधी कार्यों’ के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला। इनका बचपन का नाम एग्नस गोंक्सहा बोजाक्सिऊ था। 1980 में भारत सरकार ने मदर को भारत रत्न (Bharat Ratna) अलंकरण से सम्मानित किया। 2003 में उन्हें ‘धन्य’ घोषित किया गया। उनकी मृत्यु के 19 साल बाद 2016 में उन्हें रोमन चर्च द्वारा संत की उपाधि से विभूषित किया गया था।

सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyan Chandrasekhar)

सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyan Chandrasekhar) को ‘तारों की संरचना और विकास के महत्व के भौतिक प्रक्रियाओं के सैद्धांतिक अध्ययन’ के लिए 1983 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने ‘व्हाइट ड्वार्फ’ (White Dwarf) यानी श्वेत बौने नाम के नक्षत्रों के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की है, उसे चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है।

अमर्त्य सेन (Amartya Sen): First Asian Nobel Prize Winner in Economics

अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन (Amartya Sen) पहले एशियाई (First Asian Nobel Prize Winner in Economics) हैं। 1998 में अमर्त्य सेन को ‘कल्‍याणकारी अर्थशास्त्र’ के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने अकाल में भोजन की व्यवस्था के लिए अपनी थ्योरी दी।

वी.एस. नायपॉल (विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल) (Vidiadhar Surajprasad Naipaul)

2001 में इन्हें ‘कामों में एकजुट कथा और अविनाशी जांच करने के लिए जो हमें दबाए इतिहास की उपस्थिति देखने के लिए मजबूर करता है’ के लिए साहित्य नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन्‍हें नूतन अंग्रेजी छंद का गुरु कहा जाता है। इन्‍हें 1971 में बुकर पुरस्‍कार भी दिया गया था।

वेंकटरमन रामकृष्णन (Venkatraman Ramakrishnan)

भारतीय मूल के अमेरिकी रामकृष्‍णन को अमेरिका के थॉमस ए. स्टीट्स और इजरायल की एडा ई. योनाथ के साथ प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की संरचना और कार्य-प्रणाली के लिए संयुक्‍त रूप से 2009 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्‍कार दिया गया।

कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi)

कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) को पाकिस्तान की मलाला युसुफजई (Malala Yousafzai) के साथ ‘बाल अधिकारों की रक्षा एंव बाल श्रम के विरूद्ध लड़ाई’ के लिए संयुक्त रूप से 2014 केे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मलाला यह सम्‍मान पाने वाली सबसे कम उम्र (25 वर्ष) की महिला थी।

अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee)

भारतीय मूल के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी को एस्तर डफलो और माइकल क्रेमर के साथ गरीबी हटाने की दिशा में काम करने के लिए 2019 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नोट: 1937, 1938, 1939, 1947 एवं 1948 में गांधीजी को पांच बार शांति पुरस्‍कारों के लिए नामित किया गया, लेकिन एक बार भी पुरस्‍कार के लिए नहीं चुना गया। मैडम क्‍यूरी (1903 व 1911), लीनस पॉलिंग (1954 व 1962), जॉन बारडीन (1956 व 1972), फ्रेडरिक सेंगर (1958 व 1980) को दो-दो बार नोबेल पुरस्‍कार दिया गया। वहीं इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस को तीन (1917, 1944 व 1963) बार नोबेल दिया गया।