राजस्थान के प्रमुख कला एवं संगीत संस्थान (Art & Music Institutions of Rajasthan)

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February 26th, 2023

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Art & Music Institutions of Rajasthan

राजस्थान में कला एवं संगीत के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार द्वारा विभिन्न कला एवं संगीत संस्थाओं (Art & Music Institutions of Rajasthan) की स्थापना की गई है। इनमें से कुछ प्रमुख संस्थाओं की जानकारी नीचे दी जा रही है। राजस्थान के प्रमुख साहित्यिक (Literary Institutions of Rajasthan) के लिए यहां क्लिक करें।

भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर (Bhartiya Lok Kala Mandal, Udaipur)

  • प्रदर्शनकारी लोक कलाओं एवं कठपुतलियों के शोध, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से 1952 में ‘पद्मश्री’ देवी लाल सामर ने उदयपुर में इसकी स्थापना की।
  • संस्थान में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक संस्कृति संग्रहालय है।
  • यह वार्षिक कठपुतली समारोह, अखिल भारतीय लोक कला संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और लोकानुरंजन कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर (West Zone Cultural Centre [WZCC], Udaipur)

  • देश में लुप्त हो रही कलाओं के पुनरुत्थान, कलाकारों को उपयुक्त मंच उपलब्ध कराकर उनकी कला को समुन्नत करने एवं प्रचार-प्रसार करने के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय ने 1986 में उदयपुर में इसकी स्थापना की।
  • इसका कार्यक्षेत्र गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दमन दीव और दादरा नागर हवेली है।
  • मंत्रालय द्वारा भारत में कुल सात सांस्कृतिक केन्द्रों की स्थापना की गई हैं जिनमें उत्तरी भारत में उदयपुर, इलाहाबाद और पटियाला तीन केन्द्र हैं।
  • हस्तशिल्पियों के विकास के लिए उदयपुर के निकट शिल्पग्राम भी स्थापित किया गया है।

राजस्थान संगीत संस्थान, जयपुर (Rajasthan Sangeet Sansthan, Jaipur)

  • संगीत शिक्षा की समृद्धि के लिए 1950 में जयपुर में इसकी स्थापना की गई।
  • संस्थान के प्रथम निदेशक श्री ब्रह्मानंद गोस्वामी बनाए गए थे।
  • लगभग 30 वर्ष तक राजस्थान के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से जुड़े रहने के बाद इस संस्थान को 1980 ई. में कॉलेज शिक्षा निदेशालय को सौंप दिया गया।
  • इस संस्थान में समय-समय पर देश के विख्यात संगीतज्ञों एवं संगीत शिक्षाविदों के कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

जयपुर कथक केन्द्र, जयपुर (Jaipur Kathak Kendra, Jaipur)

  • जयपुर कथक घराने की प्राचीन एवं शास्त्रीय नृत्य शैली को पुनर्जीवित कर उसके उन्नयन के लिए 1978 में जयपुर में इसकी स्थापना की गई।
  • जयपुर घराने के कत्थक नृत्य का पारंपरिक प्रशिक्षण देने और नृत्य शिक्षा के प्रति छात्र-छात्राओं और जन साधारण में रूचि जाग्रत करना इस केंद्र के कार्य है।

जवाहर कला केन्द्र, जयपुर (Jawahar Kala Kendra [JKK], Jaipur)

  • राज्य की पारम्परिक एवं विलुप्त हो रही कलाओं का संरक्षण, खोज एवं संवर्द्धन करने एवं उनका समन्वित विकास करने के उद्देश्य से स्थापित इस केन्द्र का उद्घाटन 8 अप्रैल, 1993 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा द्वारा किया गया था।
  • इसके भवन के वास्तुविद् ‘श्री चार्ल्स कोरिया’ थे।
  • इस केन्द्र में नौ सभागार खंड हैं जिसमें मुक्ताकाशी मंच के अलावा ढाई हजार वर्ग फीट का प्रदर्शनी क्षेत्र, थियेटर, पुस्तकालय, कैफेटेरिया तथा स्टूडियो है।
  • केन्द्र परिसर में एक शिल्पग्राम भी है जिसमें ग्रामीण शैली की झोपड़ियां बनाई गई हैं।
  • केन्द्र में चाक्षुष कलाओं, संगी एवं नृत्य थियेटर एवं प्रलेखन से संबंधित चार विभाग हैं।

रवीन्द्र मंच सोसायटी, जयपुर (Ravindra Manch Society, Jaipur)

  • नृत्य नाटक व संगीत कला के उत्थान के लिए 15 अगस्त, 1963 को रामनिवास बाग, जयपुर में इसकी स्थापना की गई।
  • रवीन्द्र मंच में मुख्य सभागार, ओपन एयर थियेटर, अपर हॉल एवं पूर्वाभ्यास कक्ष हैं जिनमें सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा आए दिन कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।

ललित कला अकादमी, जयपुर (Lalit Kala Academy, Jaipur)

  • राजस्थान की दृश्य तथा शिल्पकला की प्रवृत्तियों के प्रोत्साहन एवं विकास और प्रांत की सांस्कृतिक एकता स्थापित करने के लिए 24 नवम्बर, 1957 को जयपुर में इसकी स्थापना की गई।
  • अकादमी के परिसर में आधुनिक कला संग्रहालय का संचालन भी किया जाता है।

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट्स, जयपुर (Rajasthan School of Art & Crafts, Jaipur)

  • जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वारा 1857 में जयपुर में मदरसा-ए-हुनरी की स्थापना की गई।
  • 1866 में इसका नाम परिवर्तित कर राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स कर दिया गया।
  • कालान्तर में यह महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट्स (Maharaja School of Art & Crafts, Jaipur) के नाम से जाना जाने लगा।

रूपायन संस्थान, बोरुंदा (जोधपुर) (Rupayan Institute, Borunda)

  • राजस्थान की लोक कलाओं, लोक संगीत एवं वाद्यों के संरक्षण, लुप्त हो रही कलाओं की खोज व उन्नयन एवं लोक कलाकारों को प्रोत्साहित कर उनके विकास के लिए स्व. कोमल कोठारी द्वारा समर्पित संस्थान, जिसके निदेशक पद्मश्री कोमल कोठारी हैं।
  • वर्तमान में इस संस्थान का मुख्यालय जोधपुर में है।

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर (Rajasthan Sangeet Natak Academy, Jodhpur)

  • राज्य में सांगीतिक, नृत्य एवं नाट्य विधाओं के प्रचार- प्रसार, संरक्षण एवं उन्नयन करने तथा उनके माध्यम से राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1957 में एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में इसकी स्थापना की गई।

गुरु नानक संस्थान, जयपुर (Guru Nanak Sansthan, Jaipur)

  • कला, संस्कृति व साहित्य के विकास के लिए 1969 में जयपुर में इसकी स्थापना की गई।